Friday, July 29, 2011

क्या जैन समाज सचमुच अमीर है?

-महावीर सांगलीकर

जैन समाज यह एक अमीर समाज है ऐस माना जाता है. कुछ जैन लोग तो दावा करते है की भारत का ७५% इनकम टॅक्स जैन समाज से आता है. लेकिन वास्तव में दूसरे समाजों से वह कोसों पीछे है. जरा आप भारत के सबसे अमीर १०० या ५०० व्यक्तियों की लिस्ट देखे, आपको पता चलेगा की अभी तक भारत का सबसे अमीर व्यक्ती एकबार भी जैन समाज से नही हुआ. पहले दस अमीर व्यक्तियों में कभी कभार केवल एक जैन व्यक्ती होता है, वह भी ७वे स्थान के आगे. पहले १०० अमीर व्यक्तियों मे ८-१० जैन लोग होते हैं. इसके उलटे पहले दस लोगों में आपको हमेशा २ पारसी और तीन अजैन आगरवाल दिखाई देंगे.

दुसरी बात यह है कि, किसी भी समाज की अमीरी उस समाज में पैसेवाले लोग कितने है इस बात पर नापी नहीं जाती, बल्की उस समाज में बुद्धिजीवी, विचारक, सायंटिस्ट, प्रोफेसर, लेखक, समाजसुधारक, पत्रकार, खिलाड़ी, कलाकार, गायक, पत्रकार, राजकीय नेता जैसे लोगों की संख्या क्या है इस बात पर नापी जाती है. इस नजर से हम जब जैन समाज की और देखते है तो जैनियों से जादा गरीब इस दुनिया में कोई नहीं है यह बात साफ दिखाई देती है.

सोचने की बात यह है की पारसी और अजैन आगरवाल लोग, जो संख्या में जैनियों से काफी कम है, जीवन के हर क्शेत्र में आगे हैं. पारसीयो की संख्या तो जैनियो के १ फीसदी भी नही, फिर भी उनकी अमीरी के आगे जैनियों का कोई अस्तित्व ही नही है. जैन समाज बडा दानशूर है ऐस डंका हमेशा पीटा जाता है, लेकिन पारसी लोग जो दान देते है, उसके आगे जैनियों का दान कुछ मायने नहीं रखता. पारसीयों का दान अस्पताल, स्कूल, कॉलेजेस, शोध संस्थाएं, स्कॉलरशिप्स जैसी बातों के लिये होता है, जब की जैनियों का दान मंदिर, प्रतिष्ठाएं, उत्सव, चातुर्मास जैसी बातों में जाता है. कुछ अपवाद है, लेकिन इसकी तुलना पारसीयों से नहीं की जा सकती.

यह बडे शर्म की बात है की जैन समाज की पहचान दुकानदारी, मनी लेंडिंग/साहुकारी, सट्टा बाज़ार, शेअर दलाली, हवाला मार्केट, आर्थिक घोटाले जैसी बातों से होती है. अगर जैन समाज को सचमुच अमीर बनाना है, तो सबसे पहले उन्हे ऐसे अनुत्पादक धंदो से दूर रहना होगा. वैसे भी एजंट लोग कभी भी सबसे अमीर नही बनते, ना ही उन्हे पुरे समाज में बुद्धीजीवियो जितना सम्मान मिलता है. ( जैन समाज के लोग, खासकर मुनी लोग उन्हे सम्मान देंगे, क्यो की इस समाज में महानता पैसे पर नापी जाती है. )

खुशी की बात है की पिछले कुछ सालों से जैन समाज में इस दिशा में धीरे धीर बदलाव आ रहा है. समाज में डॉक्टर, सी.ए, वकील, इंजिनीअर, प्रशासनिक अधिकारी जैसे लोगों की संख्या बढ़ रही है. अब जैन समाज को इस दिशा में कदम उठाने चाहिये की समाज से सायंटिस्ट, विचारक, लेखक, पत्रकार, खिलाड़ी, कलाकार, गायक आदि भी बड़ी संख्या में निपजे. तभी जैन समाज खुद को अमीर कहलवाने का हकदार बनेगा.

4 comments:

  1. really its a fact...hamare sari money sirf chturmas aur paritstho main hi khatm ho jati hai..

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  2. @Vaibhav Ji - aapne kitni apni money chaturmas me aur paritsthao me lagai hai???

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  3. hum jarur age badhenge mahavirji...

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  4. श्री महावीर जी आपने जो भी लिखा जैन समाज के लिए में आपको लाखो लाखो बार धन्यवाद देता हूँ की किसी ने तो इस जैन समाज को जगाने का प्रयास शुरू किया में दिल से आपकी बात का समर्थन करता हूँ और आशा करता हूँ की इसी तरह से डंके की चोट पर आप समाज के उन ठेकेदारों पर चोट करते रहेंगे जिससे उनके अन्दर भरे अहंकार रूपी रावण का नाश किया जा सके और समाज को सही पहचान और युवा पीढ़ी को सही दिशा मिल सके इस बारे में में भी फेसबुक पर अपनी वाल पर लिखता रहता हूँ और में आपके साथ इस दिशा में कार्य करने के लिए साथ में हूँ............सुरेन्द्र गुगलिया जैन

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